ध्यान कैसे लगाएं? ध्यान लगाने का सही तरीका क्या होता है | Sahi se dhyan kaise kare

Share on:

ध्यान का अर्थ है – अपने मन को केंद्रित करना और उसे वर्तमान क्षण में रखना। यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें हम अपने विचारों को नियंत्रित करना सीखते हैं और आंतरिक शांति का अनुभव करते हैं। आज के तनावपूर्ण और भागदौड़ भरे जीवन में ध्यान (Meditation) एक अद्भुत साधन है, जो हमारे मन, शरीर और आत्मा को संतुलित रखता है। लेकिन अक्सर लोग यह सवाल करते हैं कि “सही से ध्यान कैसे करें?” या “ध्यान लगाने का सही तरीका क्या है?”

सर्वप्रथम आपको यह जानने की आवश्यकता है आप ध्यान क्यों लगाना चाहते हैं? मन स्थिर करने के लिए या स्वयं पर नियत्रण पाना आपका लक्ष्य है, शायद आध्यात्मिकता की ओर झुकाव भी एक गहरा प्रणब रह सकता हैं।

ध्यान जहां न प्रयत्न करने की आवश्यक्ता है जो स्वाभाविक रूप से घटित हुआ, यहीं सबसे उचित ध्यान कहलाता हैं ध्यान किया या लगाया नहीं जाता, ये स्वत: घटित होता है। कई साधक किसी वस्तु अथवा स्थान को ध्यान का केंद्र मानकर उसी में ध्यान मग्न हो जाता है।

Table of Contents

सही से ध्यान कैसे करें? तरीका क्या है | Sahi se dhyan kaise kare

Sahi-dhyan-kya-hai

यदि आप बिल्कुल नए साधक है और ध्यान लगाने का सही तरीका ढूंढ रहे है, तो आपको ध्यान लगाने का सही तरीका ढूंढने में समय व्यर्थ करने की आवश्यकता नहीं! क्युकी ध्यान लगाना कोई चमत्कार जैसा नहीं जिसे आप ना कर सके

वास्तव में एक नए साधक को सर्वथा ही ध्यान की स्थिरता के लिए खुद को तैयार करना होता है। जिसके बाद स्वत: ध्यान की स्थिर अवस्था में साधक स्वयं ही पहुंच जाता हैं। शुरुआती समय में साधक को इसे सही से अपनाने तथा ध्यान सही से लगाने में समस्या आ सकती है, परंतु घबराएं नहीं ध्यान करना स्वांस लेने तथा छोड़ने के परस्पर मेल से जुड़ा है।

स्वांस लेना तथा छोड़ना और स्वांस के प्रति सजग बनना ही ध्यान करने की सबसे सरलतम विधि है। जहां प्रत्येक स्वांस चेतना में नई ऊर्जा का प्रवाह करती है। स्वांस के जाने से प्राणशक्ति भी निकल जाती, तथा आने वाले स्वांस के साथ जीवन रूपी प्राणशक्ती नित्य को लौट आती हैं

ध्यान सही लगना क्या है | Right meditation in hindi

पद्मासन अथवा सुखासन में स्थिर चित्त हो जाए। यदि आसन लेने में परेशानी हो रही है इसे कुर्सी अथवा मेज पर बैठकर सही से ध्यान लगा सकते है। बस ये ध्यान रखे आपकी पीठ मुड़ी या झुकी हुई ना हो, अर्थात पीठ सीधी ही रखे। भोजन और ध्यान के बीच कम से कम 2 घंटे की दूरी रखनी चाहिए। शांत वातावरण में ध्यान अभ्यास करना सबसे उचित रहता।

पुनरबेला अर्थात सुबह अथवा सांयकाल के समय ध्यान के लिए उचित समय चुनें। इस समय का वातावरण शान्ति प्रिय व ध्यानाभ्यास के लिए सुगम रहता है। ध्यान में ढीले ढाले व आरामदायक वाले वस्त्रों का ही पहनाव करें

पद्मासन अथवा सुखासन में बैठे

ध्यान लगाने के लिए सबसे पहले सही मुद्रा में बैठना जरूरी है। आप पद्मासन (Lotus Pose) या सुखासन (Comfortable Cross-legged Pose) में बैठ सकते हैं।

  • रीढ़ की हड्डी सीधी रखें।
  • कंधे और गर्दन को रिलैक्स रखें।
  • अपने हाथों को घुटनों पर रखें।

अगर आपको जमीन पर बैठने में कठिनाई हो, तो आप कुर्सी पर बैठकर भी ध्यान कर सकते हैं।

ध्यान की समय सीमा तय कर लें

ध्यान के लिए शांत और साफ़ वातावरण होना जरूरी है। ऐसे स्थान का चयन करें जहाँ शोर-शराबा न हो और आप पूरी तरह से ध्यान केंद्रित कर सकें। ध्यान करने का सबसे अच्छा समय सुबह जल्दी और रात को सोने से पहले होता है, लेकिन आप अपने अनुसार कोई भी समय चुन सकते हैं।

  • शुरुआती साधकों के लिए 10-15 मिनट का ध्यान पर्याप्त होता है।
  • धीरे-धीरे इसे 30-45 मिनट तक बढ़ाया जा सकता है।

शुरुआत लंबी और गहरी सांसों से करें

गहरी और धीमी साँसें लें। नाक से साँस लें और धीरे-धीरे छोड़ें। यह प्रक्रिया आपको अधिक रिलैक्स महसूस करने में मदद करेगी।

  • गहरी सांसें लेना ध्यान के लिए महत्वपूर्ण है।
  • नाक से गहरी सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ें।

इससे मन शांत होता है और शरीर रिलैक्स होता है।

हथेली घुटनों के ऊपर रखें, ज्ञान मुद्रा में

ध्यान करने के लिए सही मुद्रा बहुत जरूरी है। आप नीचे दिए गए आसनों में से कोई भी मुद्रा अपना सकते हैं: ज्ञान मुद्रा (Gyan Mudra) में बैठना ध्यान की प्रभावशीलता को बढ़ाता है।

  • अंगूठे और तर्जनी को मिलाएं।
  • हथेलियां घुटनों पर ऊपर की ओर रखें।

आंख बंद कर लें

आंखें बंद करने से बाहरी दुनिया के विकर्षण समाप्त होते हैं, जिससे ध्यान केंद्रित करना आसान हो जाता है।

धीरे-धीरे सांसों का प्रवाह आरंभ करें

सांसों पर ध्यान केंद्रित करना ध्यान का मूल सिद्धांत है।

  • स्वाभाविक रूप से सांस लें और छोड़ें।
  • सांसों के प्रवाह को महसूस करें।

सांसों पर ध्यान केंद्रित करें

गहरी और धीमी साँसें लें। नाक से साँस लें और धीरे-धीरे छोड़ें। यह प्रक्रिया आपको अधिक रिलैक्स महसूस करने में मदद करेगी। आपनी पूरी ऊर्जा और चेतना को सांसों पर केंद्रित करना ध्यान का सबसे महत्वपूर्ण भाग है।

  • केवल सांसों के प्रवाह को देखें, उन्हें नियंत्रित करने की कोशिश न करें।
  • अगर मन इधर-उधर भटकने लगे, तो धीरे से फिर से सांसों पर ध्यान केंद्रित करें।

मन भटकने पर, पुनः प्रयास करें

जब आप ध्यान में बैठते हैं, तो बहुत से विचार आने लगते हैं। यह बिल्कुल सामान्य है। लेकिन आपको अपने विचारों को पकड़कर रखने के बजाय, उन्हें आने और जाने देना है। खुद को जज न करें, बस शांत रहें और अपना ध्यान वापस केंद्रित करें।

  • अगर ध्यान के दौरान आपका मन भटकने लगे, तो घबराएं नहीं। यह एक सामान्य प्रक्रिया है।
  • विचारों को आते-जाते देखें, लेकिन उनके साथ न बहें।
  • बार-बार ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करें।

समय सीमा समाप्त होने पर प्रारंभिक मुद्रा में वापस आ जाएं

  • जब ध्यान का समय पूरा हो जाए, तो धीरे-धीरे अपनी आंखें खोलें।
  • अपने शरीर को हल्का सा हिलाएं और सामान्य स्थिति में वापस आएं।

शुरुआत में मन भटकने लगता है, यहीं वास्तविकता भी हैं। या यूं कहें ध्यान की शुरूआत है ध्यान लगाने से मन भटकता है, फिर चाहे ध्यान आप लंबे समय से ही क्यों न कर रहे हो। भटकते मन को नियंत्रित कैसे रखना हैं इसका उत्तर आप स्वयं ही पा लेंगे। आपको स्वत: सही ध्यान लगाना आ जायेगा।

ध्यान की सही विधि क्या है? what is right meditation technique

सही ध्यान विधि हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकती है।

  • यदि ध्यान के बाद आपका मन शांत और हल्का महसूस होता है, तो आपकी विधि सही है।
  • अगर ध्यान के दौरान बहुत अधिक बेचैनी होती है, तो अपनी विधि में बदलाव करें।
  • कोई भी तकनीक अपनाने से पहले उसे कुछ दिन तक नियमित रूप से करें।

ध्यान की विधी में बदलाव उसके लाभान्वित गुणों में भी बदलाव लाता है। कुछ लोगो के लिए ध्यान सरल तो कुछ लोग एक मिनट भी ध्यान नहीं लगा पाते हैं। अलग अलग ध्यान से होने वाले लाभ की बात करे तो, यह मन को स्थिर बनाते है। कुछ एकाग्रता बढ़ाते हैं, तो वही कुछ आत्मप्रेम का संचार भी करते हैं।

एक ध्यानी या योगी होने के नाते आपको पता होना चाहिए कि आपका मूल लक्ष्य क्या है? तभी आपको ध्यान से उस लाभ की प्राप्ति ही पाएगी जिसके लिए आप प्रयत्न कर रहे है।

ध्यान के प्रकार – Types of meditation in hindi

अब जानते हैं कि ध्यान के विभिन्न प्रकार कौन-कौन से होते हैं और उनका क्या महत्व है।

माइंडफूलनेस मेडिटेशन

  • यह ध्यान तकनीक आपको “वर्तमान क्षण” में रहने की कला सिखाती है।
  • इस ध्यान में सांसों, ध्वनियों, और अपने चारों ओर की चीजों को बिना जज किए स्वीकार किया जाता है।

इस मेडिटेशन को आज दुनिया में सबसे अधिक अपनाया गया है। बेहद सरल होने के कारण यह केवल धार्मिकता तक ही सीमित नहीं अपितु धर्म से हटकर भी इसका अभ्यास किया जाता है

विपासना मेडिटेशन

  • यह आत्मनिरीक्षण की गहरी विधि है, जिसे गौतम बुद्ध ने सिखाया था।
  • इसमें शरीर की संवेदनाओं और विचारों को गहराई से देखा जाता है।

ध्यान की शुरुआत में यदि आपको दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, अथवा ध्यान नहीं कर पाते, तो विपासना मेडिटेशन बहुत लाभकारी साबित होगा

लविंग किंडनेस मेडिटेशन

  • इसमें प्रेम, करुणा, और सकारात्मकता को बढ़ाने पर ध्यान दिया जाता है।
  • यह दूसरों के प्रति दयालुता और आत्म-प्रेम को बढ़ाने में मदद करता है।

यदि आपके ध्यान लगाने का मूल लक्ष्य दया, प्रेम, लगाव जैसे गुणों को उभरना है तो लविंग किंडनेश मेडिटेशन बेस्ट रहता है

मंत्रा मेडिटेशन

  • इस विधि में किसी मंत्र (जैसे “ॐ” या “सो-हम”) का जाप किया जाता है।
  • इससे मन शांत और केंद्रित होता है।
  • इस ध्यान में साधक किन्हीं मंत्रो का प्रयोग ध्यान की उस चरम सीमा तक पहुंचने के लिए करता है।

चक्रा मेडिटेशन

  • इस ध्यान में शरीर के सात चक्रों को संतुलित किया जाता है।
  • यह आध्यात्मिक उन्नति और ऊर्जा संतुलन में मदद करता है।

चक्र मानव शरीर में स्थित ऊर्जा केंद्र होते हैं मुख्य सात ऊर्जा चक्र होते है जो हमारे मूल से होते हुए मेरुदंड के सीध में सिर के ऊपर तक जाती हैं। चक्रा मेडिटेशन से इन चक्रों में उर्जा संतुलित की जाती है जो हमारे पूरे स्वास्थ्य को अच्छा बनाता है सात चक्र – मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुरा, अनाहता, विशुद्धि, अंजना और सहस्त्रार्थ

कुंडलिनी मेडिटेशन

  • इसमें विशेष श्वास तकनीकों और मंत्रों का उपयोग किया जाता है।
  • यह आत्म-जागरूकता और ऊर्जा जागरण के लिए किया जाता है।

कुंडलिनी योग विभिन्न योग क्रियाओं, प्राणायाम और आसनों का समावेश है जिससे कुंडलिनी उर्जा को जागृत किया जाता है। यह मेरुदंड के मूल में स्थित होता है ध्यान करना कुंडलिनी शक्ति जागृत और उनमें उर्जा का संचार बढ़ाता है जो बहुत से स्वास्थ्य लाभ पहुंचाता है।

Qigong मेडिटेशन

यह एक प्राचीन चीनी विधि है, जिसमें शारीरिक हलचलों के साथ ध्यान किया जाता है। Qigong चाइना की प्रचलित मेडिटेशन टेक्निक्स में एक है इसका मुख्य उद्देश्य प्राण ऊर्जा को संतुलित करना होता है – ब्रिथिंग टेक्निक्स, मेडिटेशन और मूवमेंटस की सहायता से, प्राण ऊर्जा संतुलित होने से जीवन शक्ति बढ़ती है। अंगों के कार्य करने की क्षमता बढ़ती है। नींद भी अच्छी आती है।

अध्यात्मिक मेडिटेशन

यह ध्यान आत्मा और ईश्वर से जुड़ने के लिए किया जाता है। जिसे स्प्रिचुअल मेडिटेशन भी कहा जाता है, जिसके प्रयास का मूल लक्ष्य मनुष्य को अध्यात्म से जुड़ाव करवाना है।

थर्डआई मेडिटेशन

  • इसमें आज्ञा चक्र (मध्य ललाट) पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
  • यह अंतर्ज्ञान और मानसिक स्पष्टता बढ़ाने में सहायक होता है।

थर्डआई मेडिटेशन योग की ही एक शाखा है जहां त्राटक और चक्रा मेडिटेशन का उपयोग शामिल है। थर्डआई मेडिटेशन से आप सूक्ष्म ऊर्जाओं और उनके वास्तविक स्वरूप को समझने की क्षमता विकसित करते है। यहां आप अपने छठे चक्र यानी दोनों बौहो के बीच अपना ध्यान लगाते हैं।

ट्रांसीडेंटल मेडिटेशन

  • यह एक वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित ध्यान विधि है।
  • इसमें विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है।

ट्रांसीडेंटल मेडिटेशन महर्षि महेश योगी द्वारा सिखाया जाने वाला योग है। ये मंत्रा मेडिटेशन की तरह है यहां आपको एक विशेष मंत्र दिया जाता है इस मेडिटेशन को दिन में दो बार लोटस पोजिशन में बैठकर अभ्यास किया जाता है

वाकिंग मेडिटेशन

इसमें चलते हुए ध्यान केंद्रित किया जाता है। वाकिंग मेडिटेशन, मेडिटेशन की कुछ बेहद सरल टेक्निक्स में एक है। यहां आपको बस वर्तमान के प्रति सजग बने रहना होता है इसमें चलते चलते आप बॉडी स्कैनिंग और ब्रीदिंग (प्राणायाम) प्रैक्टिस करते हैं। चलना मन को शांत करता है और प्राणायाम वर्तमान में आपको स्थिर बनाता हैं।

जेन मेडिटेशन

इसमें पूर्ण शांति और ध्यान केंद्रित किया जाता है। जेन मेडिटेशन एक जैंपनीज मेडिटेशन टेक्निक है। जेनन का मतलब होता है बैठकर मेडिटेशन करना, जेन मेडिटेशन एक अध्यात्मिक मेडिटेशन है। इसका अभ्यास स्पष्टता और जागृति लेकर आता है। जेन मेडिटेशन सांसारिक समस्याओं का समाधान ढूंढ के बदले उनसे उत्सर्जित दुखों के मूल को समझने और जीवन में सुख के महत्व को समझाता है।

ध्यान में आने वाली सामान्य समस्याएँ और उनके समाधान

ध्यान शुरू करने पर कुछ सामान्य समस्याएँ आ सकती हैं:
❌ मन इधर-उधर भागता है – धीरे-धीरे ध्यान केंद्रित करना सीखें, शुरुआत में यह स्वाभाविक है।
❌ शरीर में बेचैनी होती है – ध्यान से पहले कुछ हल्का व्यायाम करें ताकि शरीर आरामदायक स्थिति में आ सके।
❌ समय नहीं मिलता – दिन में सिर्फ 5-10 मिनट से शुरू करें, धीरे-धीरे इसे बढ़ाएँ।
❌ नींद आने लगती है – ध्यान करने से पहले अच्छी नींद लें और आरामदायक लेकिन सीधी मुद्रा में बैठें।

Dhyanlok के कुछ शब्द

सही से ध्यान कैसे लगाय (sahi se dhyan kaise lagay) : ध्यान (Meditation) एक सरल लेकिन शक्तिशाली तकनीक है, जो आपके मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को सुधार सकती है। इसे अपनाने के लिए किसी विशेष योग्यता या धार्मिक आस्था की जरूरत नहीं होती। बस सही तरीका अपनाकर नियमित रूप से अभ्यास करें।

Namaskar dosto! I'm the writer of this blog, I've fine knowledge on Yoga and Meditation, I like to spread positivity through my words.

Leave a Comment